Showing posts with label हैलो मान्य प्रधानमंत्री जी/ सूचना मंत्री जी....... Show all posts
Showing posts with label हैलो मान्य प्रधानमंत्री जी/ सूचना मंत्री जी....... Show all posts

Friday, 14 November 2008

हैलो मान्य प्रधानमंत्री जी/ सूचना मंत्री जी......

13 नवंबर 08

प्रधान मंत्री जी आपको और हमको भी, बधाई कि मान्य मुंशीजी की अस्वस्थता के दौरान सूचना मंत्रालय आपके जेरे इनायत चलेगा। मैं इस बात से वाबस्ता हूं कि देश के आप जैसे अदीमुलफुर्सत राजनेता का इस मंत्रालय को अपनी देख रेख मे रखना बिलावजह नहीं है। जैसा सामान्य पढ़े लिखे नागरिक को महसूस होता है कि प्राइवेट चैनल्स मनमानी कर रहे हैं आपको भी हो सकता है ऐसा पता चला हो। हो सकता है आपके डर और शराफत के मिले जुले प्रभाव से उनमें कुछ सुधार हो। हालांकि ये दोनों अलग अलग वर्ग के परस्पर विरोधी भाव है।
आप तो सीरियल्स कहां देख पाते होंगे। यह निठल्लों और सेमी निठल्लें की चक्षु परेड है। इन सीरियलों ने महिलाओं के सम्मान को जिस तरह रौंधा है वह इस तथाकथित सांस्कृतिक देश के लिए कितना शर्मनाक है।, सालों चलने वाले एक एक सीरियल में चार चार छ: छ: खल नायिकाएं। यही नहीं बीच बीच में नई नई खलनायिकाएं आती रहती हैं। जैसे सब महिलाएं खलनायिकाएं हों। महिला सशक्तिकरण में सब बातें उठती हैं पर महिलाएं इस सवाल पर दरियादिल हैं। पहले मुद्दों को लेकर अहिंसात्मक आंदोलन होते थे अब स्वार्थों को लेकर होते हैं। इस समस्या के बारे में मैंनें प्रियरंजनदास मुंशी जी को पत्र लिखा था। पावती भेजने के सिवाय शायद ही उस पर कोई कार्यवाही हुई हो। मंत्री का पत्रोत्तर आ जाना ही रेगिस्तान में वर्षा की तरह है। मंत्री कहां जवाब देते हैं।
प्रधानमंत्री जी मैं यह संदेश लिखने की धृष्टता दो वजह से कर रहा हूं। एक तो इन हंसोडों और फ़िल्म वालों ने न्यूज जैसी चीज को हास्यास्पद व नॉनसीरियस बना दिया। आप तो अंग्रेज़ी की खबर सुनते होंगे। वहां यह गुस्ताख़ी नहीं। इस काम में संसद सदस्य तक पैसे के लिए बनावटी हंसी हंसते हैं। बिना यह सोचे कि जनता पर क्या असर पड़ेगा। अच्छा या बुरा। सिर्फ़ एन डी टी वी या जी न्यूज़ बचे हैं।
इस समय सबसे बड़ी गैरदयानतदारी इन चैनलें द्वारा जो की जा रही है वह है जनता को कलाकारों की हड़ताल के कारण नए एपिसोड्स न दिखा पाने की वजह से पुराने एपिसोड्स दिखा दिखा कर बच्चों बूढ़ों, औरत मर्द के समय और धन का अपव्यय करना। आप अगर गणना कराएं तो पता लगेगा कितने क़ीमती मैनअवर और धन प्रति व्यक्ति इस मंदी/महगाई में अपव्यय हो रहा है। सिर्फ़ इस लिए कि नशे का वह स्पेल न टूटे जिसका जाल उन्होंने बुनकर देश को एडिक्ट बनाया है। इस बीच उनका किताबों, खेल आदि की ओर रूझान न हो जाए। सरकार को तो पता होगा कि अभी दिसबर तक कुछ होने वाला नहीं है। वे पैसा नहीं देंगे और हड़ताली कम पर नहीं आएंगे। उनको विज्ञापन मिल रहे हैं। हो सकता है फ्री या कम पैसों में दिखला रहे हों। उनका उद्देश्य है कि नशे के इस संसार को किसी न किसी तरह बनाए रखना है।महामहिम, देश को इस फरेब से बचाइए।